jaipur ring road

जयपुर रिंग रोड उत्तरी कॉरिडोर के निर्माण पर विवाद, किसानों ने उठाई आवाज़

जयपुर जिले में प्रस्तावित जयपुर रिंग रोड उत्तरी कॉरिडोर के निर्माण को लेकर स्थानीय आमेर और चोमू क्षेत्र के ग्रामीणों और किसानों ने विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया है। इस मुद्दे पर सरकार और स्थानीय प्रशासन को कठघरे में खड़ा करते हुए किसानों ने अपनी ज़मीन और अधिकारों की रक्षा के लिए महापंचायत का आयोजन किया।

तीनों एलाइनमेंट पर गंभीर आरोप

ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि रिंग रोड परियोजना के लिए प्रस्तावित तीनों एलाइनमेंट गलत हैं और इन्हें स्थानीय लोगों की सहमति के बिना तय किया गया है। इनमें से कुछ एलाइनमेंट इकोलॉजिकल जोन और घनी आबादी वाले क्षेत्रों से गुजरते हैं, जिससे पर्यावरण को नुकसान होने के साथ-साथ हजारों लोगों की आजीविका पर भी संकट आ सकता है।

भूमि अधिग्रहण और ग्रीन बेल्ट की समस्या

रिंग रोड परियोजना के लिए चुने गए क्षेत्रों में अधिकतर ग्रीन बेल्ट हैं, जहां बड़े पैमाने पर कृषि कार्य किया जाता है,साथ ही कृषि उपकरण निर्माण का कार्य किया जाता है। ग्रामीणों ने बताया कि इन क्षेत्रों में ज्यादातर किसान परिवार अपने खेतों पर निर्भर हैं और यह अधिग्रहण उनकी रोजी-रोटी छीनने जैसा है।

किसानों का कहना है कि उनकी सहमति के बिना भूमि अधिग्रहण करना न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि यह कानूनी और नैतिक रूप से भी गलत है।

किसानों की मुख्य मांगें

  1. तीनों प्रस्तावित एलाइनमेंट रद्द किए जाएं।
  2. रिंग रोड के निर्माण के लिए नया प्रस्ताव तैयार किया जाए, जो बाहरी क्षेत्रों से होकर गुजरे।
  3. परियोजना को लागू करने से पहले स्थानीय विशेषज्ञों और ग्रामीणों से सलाह ली जाए।

आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं भाजपा नेता फूलचंद सोलेट

इस आंदोलन का नेतृत्व भाजपा नेता फूलचंद सोलेट कर रहे हैं। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर किसानों की मांगें नहीं मानी गईं, तो यह आंदोलन और बड़ा रूप ले सकता है। सोलेट ने कहा, “हम किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। यह लड़ाई सिर्फ भूमि की नहीं, बल्कि हमारी पीढ़ियों के भविष्य की है।”

सोलेट के साथ किसान संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस आंदोलन को समर्थन दिया है।

कंपनी पर सवाल, परियोजना की पारदर्शिता पर बहस

रिंग रोड परियोजना के एलाइनमेंट तैयार करने की जिम्मेदारी उपहाय इंटरनेशनल कॉरपोरेशन को दी गई थी। लेकिन कंपनी अब तक विवादित एलाइनमेंट ही प्रस्तुत कर रही है।

ग्रामीणों का रुख और आंदोलन की तैयारी

ग्रामीणों ने महापंचायत में स्पष्ट कर दिया कि अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानीं, तो वे दिल्ली तक मार्च करेंगे और इस मामले को राष्ट्रीय मुद्दा बनाएंगे। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन सिर्फ रामपुरा डाबड़ी तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह पूरे राज्य और देश के किसानों की आवाज बनेगा।

क्या सरकार करेगी किसानों की बात?

अब सवाल यह है कि क्या सरकार इस गंभीर मुद्दे पर कदम उठाएगी या फिर किसानों को आंदोलन के लिए मजबूर करेगी। यह मामला केवल भूमि अधिग्रहण का नहीं, बल्कि किसानों के अधिकारों और पर्यावरण संरक्षण का भी है।

क्या सरकार किसानों के हित में कोई ठोस निर्णय लेगी, या यह विरोध प्रदर्शन और अधिक व्यापक रूप लेगा? इस आंदोलन से जुड़े हर अपडेट के लिए जुड़े रहिए।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *